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Saturday, December 18, 2010

इटावा में प्यास से दम तोड़ रहे हैं मोर- swatantraawaz

इटावा में प्यास से दम तोड़ रहे हैं मोर
मोर-peacockइटावा, उप्र। मेघों की गर्जना से आत्मविभोर होकर कर्णप्रिय आवाज़ के साथ नृत्य करने वाले मोर प्यास के मारे दम तोड़ रहे हैं। विकास के नाम पर उनके परंपरागत परिवास उजाड़कर प्रशासन ने उनका प्राकृतिक वातावरण नष्ट कर दिया है। वे जिसे अपना घर-आंगन समझते थे वह उन्हें पराया लग रहा है। उन्हें न पानी नसीब है और न वातावरण, इस कारण सारस के बाद राष्ट्रीय पक्षी मोर पर भी इटावा में मौत मंडरा रही है। यहां मोर का जीवन अब सुरक्षित नहीं रहा है और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह पक्षी भी वन्य जीवों की सुंदर प्रजातियों से गायब हो जाएगा। 'विकास' के नाम पर वन्य पक्षियों के प्राकृतिक जीवन में दखल से पहले सारस उजड़े और अब मोरों के प्यास से मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सौ से भी अधिक मोरों के मरने की ख़बर पूरे इटावा को है लेकिन उनके सुरक्षित जीवन के लिए प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन को अभी तक शर्म नहीं आई है कि वह इस तरफ ध्यान दे।
प्यास से तड़पकर मर रहे मोरों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। जनसामान्य में उनकी दर्दनाक मौत पर प्रतिक्रिया हो रही है। करोड़ों रूपए की लागत से मनरेगा के तहत तालाब तो खोद डाले गए हैं लेकिन उनमें पानी नहीं है। एक फूहड़ तरकीब से जिला प्रशासन चंद मटको को रखवाकर मर रहे मोरों की प्यास बुझाने की कोशिश कर रहा है लेकिन यह पक्षी इतना सयाना है कि वह इन मटकों के पास जाते हुए संकोच करता है, उन्हें कोई जाल समझता है। उनके प्राकृतिक परिवास उनकी जीवन समृद्धि के परंपरागत स्रोत हैं जो विकास के नाम पर नष्ट किए जा चुके हैं। नकली तालाबों तक मोर पहुंच नहीं रहे हैं क्योंकि नए वातावरण में न उनके लिए पानी है और न सुरक्षा। इस भयानक गर्मी में पानी के बिना जब आदमी पागल हुआ जा रहा है तो यह तो वन्य पक्षी हुआ जोकि स्वयं ही अपने परिवास को खोजता है Read More:
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