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Wednesday, December 15, 2010

'आई हेट पॉलिटिक्स' मगर क्यों...?-swatantraawaz

'आई हेट पॉलिटिक्स' मगर क्यों...?
युवाओं की कॅरियर लिस्ट में नही है राजनीति

आई हेट पॉलिटिक्स - i hate politics
लखनऊ। पत्रकारिता की एक छात्रा होना मेरे लिए रोज एक रोमांचकारी सफर पर निकलने के बराबर है और लखनऊ विश्वविद्यालय जहां मै अध्ययनरत हूं, रोज देखती हूं कि यहां किस तरह राजनीतिक-अपराध-समाज और शिक्षा के बीच चौबीस घंटे घोर द्वंद चलता है। कभी तो लगता है कि छात्र राजनीति के नाम पर हमारे विश्वविद्यालयों का उपयोग खींच-तान, मार-धाड़, छीना-झपटी के लिए ज्यादा हो रहा है। वहां के ऐसे परिदृश्यों से हमारे लिए ऐसा कुछ न कुछ मिलता ही रहता है, जिस पर सदैव हज़ार सवाल खड़े रहते हैं। मस्तिष्क पर टहलते ऐसे सवालों और विचारों के बीच एक दिन सवेरे ही इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर एक युवा की पोस्ट पर मेरी नज़र पड़ी-'आई हेट पॉलिटिक्स।' किसी युवा के मन में राजनीति के प्रति इतनी गहरी निराशा? जिसमें उसके आर्थिक, शिक्षा, समाज और देश की प्रगति से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले होते हों और जो किसी लोकतंत्र की नीव कही जाती हो, उस राजनीति को लेकर इतनी नफरत? आखिर क्या हुआ जो वह बहुत जल्दी एक निष्कर्ष पर पहुंच गया?
मगर लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र संघ भवन के परिसर में लगीं और फूल मालाओं से लदीं आदमकद मूर्तियों की तरफ देखकर मैने खुद से पूछा कि अगर वास्तव में ये यहां छात्र नेता हुए हैं तो विश्वविद्यालय परिसर अराजकता, चौपट पढ़ाई और आए दिन बम, गोली, झगड़ों के लिए क्यों बदनाम है? इन कथित छात्र नेताओं ने लखनऊ विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास और उसके अतीत से क्या सीखा? और यहां के शैक्षिक वातावरण के लिए क्या किया? माफ कीजिएगा इनमें से अधिकांश मूर्तियों के पीछे अपराध की खतरनाक कहानियां हैं, अब छात्रसंघ, नैतिक मूल्यों की राजनीति से भटक गए हैं और उनकी जगह बदनाम, ठेकेदारों और कुछ पेशेवर बदमाशों ने ले ली है।
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2 comments:

  1. न्यूज पोर्टल अच्छा सैट किया हुआ है..न्यूज भी समसामयिक लगी. शुभकामनाएं

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  2. न्यूज समसामयिक लगी. शुभकामनाएं

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