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Saturday, December 18, 2010

पुस्तक समीक्षा'स्त्री रोग कारण और निवारण'- swatantraawaz

'स्त्री रोग कारण और निवारण'

डॉ रेखा सचान की हिंदी में किताब

स्वस्थ्य स्त्री-पुरूष स्वस्थ समाज की गारंटी है। इस सत्य का ही यह परालौकिक प्रमाण है कि स्त्री के गर्भ से ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली एवं तेजस्वी शिशु की उत्पत्ति होती है। इसमें स्त्री-पुरूष के बीच सर्वाधिक महत्व किसका है, सदैव से यह एक अनुत्तरित प्रश्न है। कदाचित पुरूष की प्रधानता ही विश्व व्यापी है और अपवाद स्वरूप कुछ ही देश एवं उनके समाज ऐसे हैं, जहां स्त्रियों को पुरूष से अधिक महत्व दिया गया है, फिर भी तटस्थ लोग दोनों का समान महत्व बताते हैं। अनेक व्याख्याताओं का मत इसलिए स्त्री के पक्ष में जाता है क्योंकि वह ही, जन्मते ही एक अग्नि परीक्षा से गुजरती है- बड़े होकर एक पत्नी एवं एक माँ की सर्वाधिक कठिन भूमिका निभाती है, नौ महीने अपने मातृत्व की रक्षा करते हुए प्राण भी गंवाती है, उसी पर बच्चे के प्रारंभिक लालन-पालन, शिक्षा एवं संस्कारों और घरेलू मामलों का बड़ा भारी दबाव होता है, वक्त पड़ने पर उसे रणचंडी भी बनना पड़ता है। जब तक वह जिंदा रहती है, उसे कोई न कोई जिम्मेदारी और अंतहीन चुनौतियों से कभी छुटकारा नहीं मिलता है। धन्य हैं वे स्त्रियां जिन्हें राजसी ठांट-बांट में रहने पलने एवं सुख समृद्धियों का खजाना मिलता है, लेकिन यदि उनमें कोई स्त्री अस्वस्थ है तो उसके लिए यह सब भी निरर्थक हो जाता है। वह समाज को शिशु के रूप में देने वाले 'उपहार' को स्वस्थ जीवन नहीं दे सकती। तभी कहा जाता है कि घर में स्त्री की अस्वस्थ्यता से पूरा परिवार लड़खड़ा जाता है। यूं तो अपवाद हर अवस्था में कहीं न कहीं मौजूद हैं।
ये दार्शनिक पंक्तियां हिंदी में लिखी 'स्त्री रोग कारण और निवारण' पुस्तक के संदर्भ में काफी प्रासंगिक हैं। यह पुस्तक छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय (किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) लखनऊ की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रेखा सचान ने लिखी है। किसी ऐसी पुस्तक को पढ़ने के बाद मानव जीवन एवं उसकी स्वस्थ पीढ़ी की ओर ध्यान जाना स्वाभाविक है और यह स्वस्थ समाज की एक बड़ी चिंता है। पुस्तक ने इस गंभीर विषय पर ध्यान खींचा है। इसमें स्वस्थ माँ-स्त्री एवं उसके रोगों के संबंध और उनके निदान को हिंदी में बहुत ही सरल तरीके से, सफल प्रयोगों पर आधारित तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है। लेखिका डॉ रेखा सचान ने यह पुस्तक हर स्त्री की पहुंच के भीतर रखते हुए उसमें उसके निजी संकोचों को दूर करने के स्वप्रेरित उपाय किए हैं। स्त्री रोगों की उत्पत्ति एवं निदान की प्रक्रिया चित्रों की सहायता से बताई है। स्त्रियों के रोगों का विशेष संबंध गर्भाशय से कैसे है यह बताया गया है और यह भी कि गंभीर बीमारियों के कारण ही एक स्त्री अत्यंत गंभीर रोगी हो जाती है, जिससे उसकी अधिकांश रोगों में सहज मृत्यु हो जाती है। ऐसे कई कारणों का इसमें निदान सहित उल्लेख है। Read More:
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