जिस प्रकार वृक्षों के बीच से छनकर तारों का मृदु प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचता है वैसे ही नींद में मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं, वे और स्पष्ट होती गईं। मैं तब बाहर आया और देखा कि अंधेरा था। फिर भी निश्चित रूप से मुझे पता चला कि वे आवाजें पक्षियों की थीं। धीरे-धीरे पंछी सूने आकाश की हवा को चीरते हुए उड़ने लगे। तब तक मैं उनकी उस मधुर आवाज को सुनता रहा और ऐसा महसूस करने लगा, मानो मेरी भुजाओं की मांसपेशियां पंखों की तरह कसी गई हों और मैं भी आकाश में उड़ान भर रहा हूं।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि लोग सबसे ज्यादा उड़ने के स्वप्न देखा करते हैं। स्कूल के बच्चों से पूछे जाने पर कि तुम कौन सा जानवर बनना चाहोगे तो वे अकसर यही उत्तर देते हैं कि ‘मैं चिडि़या बनना चाहूंगा।’ पक्षियों की उड़ान हम सबको यह प्रेरणा देती है कि हम भी ऊपर उड़ें और क्षितिज के उस पार झांककर देखें कि वहां क्या है? Read More:
पंछी जिनकी उड़ान में भी संदेश है-swatantraawaz: "पंछी जिनकी उड़ान में भी संदेश है
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