सुरक्षा को स्वयं चुनौती देतीं ये सरकारें
नई दिल्ली। वाराणसी में प्राचीन दशाश्वमेघ घाट के बराबर में शीतला घाट पर महा आरती के दौरान बम धमाके ने कुछ समय से चली आ रही खामोशी को तोड़ दिया है। बनारस में जो कुछ भी हुआ वह इस बात को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है कि आमजन की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्यों की सरकारें कितनी संजीदा हैं। चौबीस सितंबर को जब अयोध्या का फैसला आया तब समूचे देश में रेड अलर्ट था और सुरक्षा एजेंसियों की चाक चौबंद कवायद के चलते सब कुछ शांति से बीत गया। छह दिसंबर को भी पुलिस ने पूरी मुस्तैदी दिखाई। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह बेफिक्र हो गईं। पिछले पांच साल में काशी पर यह चौथा हमला है। पांच बरस में तीन बार अगर कोई नराधम आकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे जाए तो समझ लेना चाहिए कि खामी सुरक्षा तंत्र में ही है। सरकार इस बात को लेकर संतोष जता सकती है कि इसमें मरने वालों की तादाद ज्यादा नहीं है पर यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस परिवार का एक भी सदस्य इस प्रकार जाता है उसकी दुनिया का क्या हाल होता होगा।
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