आध्यात्मिक चेतना और आस्था के प्रतीक। चरित्र, धर्म, नीति और मर्यादा के चरम आदर्श-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम आपको सादर वंदन! आपके प्रेरणादायक विलक्षण चरित्र और प्रसंगों को दुनिया भर में हर साल रामलीलाओं के माध्यम से स्मरण किया जाता है। आपने त्रेता युग में मृत्यु लोक में भगवान विष्णु का अवतार लेकर पृथ्वी को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया था ना? इससे आपकी कीर्ति युग युगांतर से आपके पुण्य, न्याय, मर्यादा चरित्र वीरता और आदर्श के रूप में समस्त लोकों में विख्यात और रोम-रोम में अमर है। उपनिषद में आपकी महिमा का यहां तक बखान है कि राम की संपूर्ण कथा ‘ऊँ’ की ही अभिव्यक्ति है। मान्यता है कि अंत समय में आपका नाम लेने से पापी भी अपने पापों से मुक्त हो जाता है और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
हे जगदीश्वर! आपका स्मरण करते ही रामराज्य की कल्पना होने लगती है। आखिर कैसा रहा होगा आपका शासन। ‘ना कोऊ दरिद्र ना लच्छन हीना।’ लेकिन प्रभु संक्षेप में कहूं तो आपने दुनिया को जो संस्कार दिये थे, आज उनकी अर्थी निकल रही है अर्थी। आपकी प्रजा भयभीत है। धर्म, व्यापार बन गया है, और कर्म, कुकर्म में बदलता जा रहा है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि आपका कोई वजूद ही नहीं है। आप केवल कपोल काल्पनिक हैं। आपने मृत्यु लोक को जिन आसुरी शक्तियों से आजाद कराया था, वे फिर से जन्म लेकर सर उठा रही हैं।
हे मर्यादा पुरुषोत्तम! आपके भक्त आपका नाम नहीं ले सकते। वे आपके आदर्शों का प्रचार-प्रसार और अनुसरण नहीं कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में आपके खिलाफ सच्ची रामायण बंटवाई और बिकवाई जा रही हैं। अयोध्या में आपके जन्मस्थान का दर्शन करने जाते हुए भी लोग डरते हैं, कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। हमें नहीं मालूम था कि ऐसा समय भी आएगा, जब आपका नाम इतना अछूत हो जाएगा कि आपका नाम लेते ही पुलिस की लाठियां पड़नी शुरू हो जाएंगी। राजनेता या राजनीतिक पार्टियां अपने को आपसे जोड़ने में परहेज करने लगेंगी और आपका नाम लेने वाले को सांप्रदायिक तत्व कहा जाने लगेगा। Read More: हे राम! आप प्रकट क्यों नहीं होते?- swatantraawaz
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Saturday, January 8, 2011
हे राम! आप प्रकट क्यों नहीं होते?- swatantraawaz
हे राम! आप प्रकट क्यों नहीं होते?
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