पीढि़यां बदलती हैं, मान्यताएं बदलती हैं और इतिहास भी दोहरा लेता है अपने को, पर नहीं बदलता है, तो सिर्फ यह तत्व कि परिश्रम, शिक्षा और अनुशासन पर ही सब निर्भर किया करता है।
एक पतझड़ की बात है कि मेरे पास पड़ी फाइलें खत्म हो गई थीं सो मैं पास की दुकान पर गया। मैंने कुछ फाइलें निकालकर काउंटर पर रखीं और यौवन की दहलीज पर पांव रखते क्लर्क से पूछा कि इनका मूल्य क्या है। �मुझे नहीं मालूम,� उसने रुखा सा जवाब देते हुए कहा। �जहां तक मैं समझता हूं, एक फाइल की कीमत एक डॉलर तो होगी ही।�
�एक-एक डॉलर की?� मैंने कहा। �यह सही नहीं हो सकता।� क्लर्क ने कंधे उचका दिए।
दूसरी क्लर्क यानी एशियाई युवती ने मुझे एक फाइल की कीमत 12 सेंट बताई। मैं अब भुगतान के लिए बढ़ा तो वहां पर एक किशोरी उपस्थित थीं। मैंने फाइलों को गिना। �बारह सेंट के हिसाब से 23 फाइलों की कीमत टैक्स से पहले 2.76 डॉलर होगी,� मैंने कहा।
�ये हिसाब आप ने मुंहज़बानी लगा लिया?� उसने हैरानी से पूछा, �आप ये कैसे कर लेते हैं?�
�यही तो कमाल है?� मैंने उत्तर दिया। Read More:
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Saturday, January 15, 2011
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शिक्षा और अनुशासन ही सबकुछ
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