वनराज के साम्राज्य पर तस्करों का हमला!
दुधवा, लखीमपुर खीरी, उप्र। उत्तर प्रदेश में वन माफियाओं और वन्य प्राणियों के तस्करों और हत्यारों के सामने सारे कानून तौबा कर रहे हैं। दुधवा में वनराज के साम्राज्य पर तस्करों के लगातार हमलों को कोई रोक नहीं पा रहा है। यकीन नहीं हो रहा हो तो दुधवा नेशनल पार्क आइए और खुद देखिए! शक्ति और शौर्य के प्रतीक बाघ और उन्हें प्राकृतिक संरक्षण देने वाले घने वन, दुधवा नेशनल पार्क से गायब हो रहे हैं। अभी ही की बात है, तस्कर शिकारियों ने दुर्लभ तेंदुए के दो नवजात शावकों से उनकी मां छीन ली। रो-चिल्लाकर बदहवासी में अपनी मां को ढूंढते फिर रहे भूखे-प्यासे ये शावक, पास के गांव वालों के हाथ लगे, जिन्हें लालन-पालन केलिए लखनऊ के प्राणि उद्यान भेजा गया।
लखीमपुर खीरी जनपद के वन्य जीवों और वनों से समृद्धशाली दुधवा अभ्यारण्य में वनराज और वन्य प्राणियों का कभी साम्राज्य हुआ करता था। मगर आज यहां राजनीतिज्ञ, वन माफियाओं और वन्य प्राणियों के हत्यारों और तस्करों का राज है। इनके खिलाफ बोलने वालों को वन माफिया गुंडों और पुलिस से पिटवाते हैं, मरवाते हैं और उल्टे जेल भिजवाते हैं। पुलिस यहां बेजुबानों पर कहर टूटता देखती है और वन के अधिकांश सिपाही या तो मूकदर्शक होते हैं या आदेशों की प्रतीक्षा में असहाय से खड़े होते हैं। दुधवा के इस बियावान में वन्य प्राणियों के प्राकृतिक परिवासों में इनके परिवारों की हलचल देखने और किलकारियां सुनने शायद ही कोई पहुंच पाए, अलबत्ता उनके पेशेवर हत्यारे अपनी सूंघने की शक्ति से वहां का सारा पता रखते हैं। इसलिए अब यह कभी सुनने को नहीं मिलता है कि वन की महारानी ने कब और कहां वन के राजकुमारों को जन्म दिया और कब वे हत्यारे तस्करों की भेंट चढ़ गए। Read More:
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