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Thursday, February 3, 2011

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कांग्रेस की प्रयोगशाला बने राजा दिग्विजय सिंह

कांग्रेस की प्रयोगशाला बने राजा दिग्विजय सिंहनई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह की ज़ुबान फिसल रही है या वे किसी योजना के तहत ऐसी बयानबाज़ी पर उतर आए हैं जैसी हर एक राजनीतिक दल में कुछ सड़कछाप नेता करते रहते हैं? वे अपने ही दल में किसी उकसाऊ राजनीति के शिकार तो नहीं हो रहे हैं? या वे कांग्रेस में ऊब गए हैं जिसके बाद कोई नेता 'मैं नहीं तो तू नहीं' की रणनीति पर उतर आता है? वे अपने ही दल में मुंह फेरकर हंसी के पात्र तो बन ही चुके हैं साथ ही वह उस हासिये पर भी पहुंच चुके हैं जहां उनकी न हिंदुओं में उपयोगिता बची है और न ही कांग्रेस को उनकी कार्यशैली से मुसलमानों वोटों का कोई लाभ मिलने वाला है। इन दोनों वर्गों में दिग्विजय सिंह की छटपटाहट भरी राजनीतिक चाल को आसानी से पकड़ लिया गया है, इसीलिए उनसे सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर राजनीति में वे कहां खड़े हैं और वे जो कर रहे हैं उसमें उनके लिए राजनीतिक संकट आने पर क्या कांग्रेस उनके साथ खड़ी रह पाएगी?

यदि कांग्रेस का इतिहास उठाकर देखा जाए तो इस प्रकार के अनेक नेता गुमनामी में जा चुके हैं। कांग्रेस ने पहले उनका भरपूर इस्तेमाल किया और जब उसकी लपटे कांग्रेस की तरफ आई तो अपने बचाव में कांग्रेस ने सबसे पहले उसी को उन लपटों के हवाले कर दिया यानि न बांस रहा और न बांसुरी। कई दृष्टांत ऐसे हैं जो कांग्रेस की इस राजनीति को सहजता से स्थापित करते हैं। इसके शिकार कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह भी हो चुके हैं किंतु वे एक कदम चलते थे तो बीस कदम आगे की सोच लेते थे। उन्होंने इसी राजनीतिक चतुराई से अपने को लंबे समय तक बचाए रखा और जब उनकी उपयोगिता शून्य की ओर बढ़ी तो अर्जुन सिंह को भी सड़क दिखा दी गई। वैसे भी अर्जुन सिंह की भी उपयोगिता उस समय खतम हो गई थी जब उनको बसपा के एक मामूली कार्यकर्ता ने लोकसभा चुनाव में उन्हें पराजित कर दिया था इसमें यह अलग बात है कि वहीं के कांग्रेसियों ने भी उस बसपाई को जिताने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दिग्विजय सिंह और अर्जुन सिंह की राजनीति में फर्क इतना है कि काफी समय तक उनके हर बयान के साथ समूची कांग्रेस खड़ी दिखाई देती थी, किंतु दिग्विजय सिंह के साथ ऐसा होता नहीं दिख रहा है। अनेक आशंकाएं दिग्विजय सिंह पर मंडरा रही हैं क्योंकि वे अपने बयानों के बाद अकेले ही नज़र आ रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बनने के बाद से वे लगातार विवादस्पद बयान देते और फिर उनसे पलटते आ रहे हैं? Read More: कांग्रेस की प्रयोगशाला बने राजा दिग्विजय सिंह-swatantraawaz

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