On the Eve of 25 Nove this post come from Swatantraawaz.com
पहली सितंबर 1992 को तीसरे पहर इकहरे बदन का दाढ़ी वाला एक नौजवान न्यूयार्क के जॉन एफ कैनेडी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के आव्रजन स्थल पर पहुंचा। उसके पासपोर्ट में उसे इराक का 25 वर्षीय रमजी अहमद युसूफ बताया गया था जो पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान 703 से कराची से यहां आया था। वहां पर बैठे वर्दीधारी इंस्पेक्टर ने नजरें ऊपर उठाई। ‘यह तो अमरीका में प्रवेश के लिए वीजा नहीं है, मिस्टर यूसुफ, ’उसने कहा।
यात्री ने बेबसी से कंधे उचकाए और कहा, ‘मैं राजनीतिक शरण के लिए आवेदन करना चाहता हूं।’ उसने बताया कि वह इराक वापस लौटा तो उसे सरकार विरोधी गतिविधियों के चलते गिरफ्तार कर लिया जाएगा और शायद फांसी भी दे दी जाए। काउंटर पर बैठे दूसरे आव्रजन अधिकारी ने यूसुफ का नाम और पासपोर्ट नंबर एक कंप्यूटर में दर्ज किया और फिर अपराधियों और संदिग्ध आतंकवादियों वाली सूची से मिलाने के लिए बटन दबाया। रमजी अहमद युसुफ का कोई विवरण उसमें नहीं था। वस्तुतः कंप्यूटर व्यवस्था यहां धरी की धरी रह गई और जैसा कि बाद में संघीय पुलिस ने मामला दायर किया, यूसुफ का कोई विवरण इसमें नहीं था। यूसुफ एक अत्यंत कुशल आतंकवादी था जो कमीज बदलने वाले अंदाज में नाम बदल लेता था।
Source: आतंक के दशक, जो अब अपने चरम पर हैं
काश उन्हें हम हिन्दुस्तानी पानी याद दिला देते,उनको क्या उनके पुरखों को नानी याद दिला देते,
ReplyDeleteलेकिन हम तो हर कीमत पर समझौते के आदी हैं,मुँह पर चाँटा खाते रहने वाले गाँधीवादी हैं,
ये कायरता का ना खेल हुआ होता,गद्दी पर सरदार पटेल हुआ होता,
उग्रवाद की उम्र साँझ कर दी जाती,हर आतंकी कोख बाँझ कर दी जाती..........
...(डॉ. हरिओम पंवार)