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Tuesday, April 26, 2011

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ब्रह्मलीन हुए सत्य साईं बाबा

ब्रह्मलीन हुए सत्य साईं बाबापुट्टपर्थी-आंध्रप्रदेश। शिर्डीवाले साईं बाबा के चमत्कारिक अवतारी के रूप में स्थापित, दुनिया भर में अनुयाईयों की ईश्वर तुल्य आस्था, प्रेम और विश्वास के परम आधार सत्यनारायण राजू अर्थात सत्य साईं बाबा हृदयाघात से अचेतावस्था में पहुंचकर आखिर ब्रह्मलीन हो गए। इसाईयों के पवित्र त्योहार ईस्टर को उन्होंने अपने महाप्रस्थान का दिन चुना। सत्य साईं बाबा की जीवन रक्षा की लाखों, करोड़ों प्रार्थनाओं के विभिन्न मार्मिक रूप देख, वह भी जरूर करूणा से भर गए होंगे, लेकिन नियति के शक्तिशाली समयचक्र के सामने किसी का भी वश नहीं चला है, सो वे अपने करोड़ों अनुयायियों की प्रार्थनाओं के बीच विदा हुए। उन्हें जाना था और इसका दोष उनकी लगातार एक माह चली हृदय संबंधी बीमारी को गया। दुनिया में उन्होंने मानवता के संदेश को सफलतापूर्वक प्रेम, सेवा और सद्भाव से जोड़ा। उनके महाकल्याणकारी कार्यों का दुनिया में वृहद प्रचार और प्रसार हुआ। साईं बाबा ने शिक्षा से लेकर आध्यात्म तक का एक हब खड़ा किया, जिसमें देश-विदेश के जाने-माने राजनेता, समाज सुधारक, उद्योपति, शीर्ष न्यायिक अधिकारी, नौकरशाह, दार्शनिक और विभिन्न विधाओं के महान लोग शामिल हैं। बहुत सारी विशेषताओं और जनसामान्य के लिए महान कार्यकलापों के बावजूद यह तथ्य भी अपने स्थान पर कायम है कि सत्य साईं बाबा भी लोकापवादों से मुक्त नहीं रहे। उनके विभिन्न पक्षों को लेकर संशयात्मक आलोचनाएं अभी भी मौजूद हैं।

मृत्युलोक में एक सामान्य परिवार में 23 नवंबर 1926 से सत्य साईं बाबा यानि सत्य नारायण राजू का जीवन चक्र प्रारंभ हुआ जो 24 अप्रैल 2011 को अपने महाप्रयाण को प्राप्त हुआ। वे 86 वर्ष संसार में रहे। आध्यात्मिक गुरू के रूप में और अपने अनुयायियों के बीच में अवतार के रूप में, भगवान के रूप में, महान दार्शनिक के रूप में उन्होंने अतुल्य सम्मान और मान्यता अर्जित की। उनकी कीर्ति अनेक विख्यात संतों और आध्यात्मिक गुरूओं के बीच भिन्न और शिखर पर तो रही ही, अनेक राष्ट्राध्यक्षों ने भी उनसे मार्गदर्शन और प्रेरणाएं प्राप्त कीं। सत्य साईं बाबा ने अपनी शक्तियों का उपयोग शिक्षा के प्रचार-प्रसार और उस जैसी अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं और आध्यात्मिक शक्ति के कारक आश्रमों और मंदिरों की स्थापना के लिए किया। उनकी विरासत में यद्यपि पचास हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा की देश-विदेश में परिसंपत्तियां हैं तथापि उन्हें इससे भी ज्यादा जो नसीब हुआ वह है उनकी मान्यता। वह सिद्ध पुरूष शिर्डी वाले साईं बाबा के अवतार कहलाए गए। उन्होंने अपने आध्यात्मिक महत्व को विकसित किया, सिद्ध किया। साईं बाबा को अपने जीवन में अनेक लोकापवादों का सामना भी करना पड़ा लेकिन उन्होंने आलोचनाओं की कभी परवाह नहीं की और अपने लक्ष्य पर बढ़ते रहे। सत्य साईं बाबा को उनके जीवन में करोड़ो अनुयाइयों की जो शक्ति मिली यह उसी का प्रमाण है कि उनकी जीवन रक्षा के लिए करोड़ों प्रार्थनाएं की गईं, मन्नते मांगी गईं मगर उनको जाना था और वे अनंत ब्रह्मांड के लिए प्रस्थान कर गए। Read More : ब्रह्मलीन हुए सत्य साईं बाबा

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